छात्र का अनोखा निमंत्रण पत्र
शनिवार दिनांक २० जनवरी के दिन कक्षा ७ वीं की तासिका थी। कक्षा में नियोजन के अनुसार पत्र लेखन की आवृत्ति लेनी थी। कुछ दिन पूर्व ही इस कक्षा में घरेलु पत्र लेखन विधा संबंधी मार्गदर्शन किया था। तो सोचा कि छात्रों को एक विषय देकर पत्र लेखन करवाए और उन पत्रों का वाचन स्वयं छात्र कक्षा में करें। कक्षा में मैंने पत्र लेखन का विषय दिया - 'अपने मित्र को अपने जनमदिवस के अवसर पर निमंत्रित करें।' कुछ समय के बाद छात्रों ने पत्र लिखकर पूर्ण होने की बात सूचित की। अब मैंने सोचा की चलो छात्रों से अपने लिखे हुए पत्रों का पाठ किया जाए। जब एक के बाद एक पत्र का पाठ शुरू हुआ तो हर किसी के पत्र में स्वज्ञान के अनुसार लेखन पाया और साथ ही वाचन कौशल की गति को भी परखने का कार्य भी हो गया। परंतु जब छात्रों ने पढ़े तो कुछ पत्र सुनकर मैं तो दंग रह गया। एक छात्र ने घरेलु पत्र में अपनी उम्र से कई अधिक उम्र के मित्र को पत्र लिखकर उसके बीवी बच्चों तक को निमंत्रित करने की बात ने कक्षा का माहौल हर्षोल्लसित किया। इससे छात्रों की विचार शक्ति समाज के साथ अधिक संलग्न होने की बात सामने आई। कुछ छात्रों के पत्र हमेशा की तरह सामान्य पाए गए।
इनमें पत्रों में एक पत्र पढ़कर मैं स्वयं ऐसे पत्र से अनभिज्ञ था। मैंने भी इस तरह की सोच इस विषय बारे में कभी छात्रों को बताई भी नहीं थी ऐसी वाक्य रचना एवं विचार छात्रों के सामने रखे भी न थे। मैं इस पत्र को सुनकर अभिभूत हुआ और मैंने सोचा क्यों न इस पत्र को आपके सामने रखूँ।
यह पत्र लिखा हैं कक्षा ७वीं का छात्र प्रसाद जाधव ने। वह खेलकूद के साथ अन्य गतिविधियों में अग्रसर है। उसका यह पत्र आपके लिए प्रस्तुत हैं और एक बात इस टंकित पत्र के बाद उसके हस्तलिखित पत्र की तस्वीर भी भेज रहा हूँ। मैंने बस व्याकरण की दृष्टि से संपादन किया है जो सामान्य है। तो पत्र यूँ था -
***********************************************************
दिनांक २० जनवरी २०१८
प्रिय मित्र राम,
सप्रेम नमस्ते।
बहुत दिन हुए हमारी एक-दूसरे से बात नहीं हुई। चाहता तो मैं तुमसे फोन पर बात कर सकता था, परंतु पत्र लिखने में जो मजा है वह दूसरे किसी में नहीं। खैर, ये सब छोडो। चाचा-चाची कैसे हैं, उनको सादर प्रणाम कहो। राम मैं तुम्हे बताना चाहता था कि आनेवाली ३१ तारीख को मेरा बारहवाँ जन्मदिवस मनाने वाला हूँ। तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो इसलिए मैं तुम्हे पहला बुलावा भेज रहा हूँ। तुम अपने परिवार के साथ निसंकोच से आओ, यह मेरी और मेरे परिवार की इच्छा हैं।
तुम आने बाद हम दोनों बहुत मजा करेंगे। खेलेंगे-कूदेंगे, खाएंगे-पिएंगे और बहुत से खेल खेलेंगे। मैं तुम्हे कुछ बताना चाहता हूँ कि इस साल मेरे जन्मदिवस पर हर एक मेहमान को एक पौधा दूँगा और गरीबों को खाना दूँगा साथ में वाले अनाथाश्रम के बच्चों को अपने पुराने कपडे भेंट के स्वरूप दूँगा। क्या खयाल है तुम्हारा? देखो मेहमानों को पौधा देने से पर्यावरण अच्छा रहेगा और गरीबों को खाना खिलाने से उनके ढेर सारे आशीर्वाद मिलेंगे और अनाथाश्रम के बच्चों को कपडे देने से वह खुश रहेंगे।
मुझे आपसे बहुत बातें करनी हैं पर अब जन्मदिवस की तैयारी भी करनी है इसलिए रुकता हूँ। मिलकर बातें करते हैं। तुम्हारा इंतजार करूँगा। आशा करता हूँ कि तुम इस पत्र का जवाब लिखोगे।
तुम्हारा मित्र
प्रसाद
कुमार प्रसाद सतीश जाधव, मुकाम पोस्ट पांडे, तहसील वाई, जिला सातारा
**************************************
**************************
संकलन एवं लेखन
श्री. मच्छिंद्र बापू भिसे
९७३०४९१९५२ / ९५४५८४००६३
No comments:
Post a Comment