नमस्ते मेरे प्यारे पाठक मित्रगण, छात्र एवं मेरे हितैषी,
आज आपको मेरे प्रिय मित्र एवं हिंदी साहित्य के साथ देश की संसद की लोकसभा के परिवार में सचिव के पद से देश की सेवा करने वाले हसमुख एवं स्नेही स्वभाव के व्यक्तित्व का परिचय कराना चाहता हूँ। नाम है सुशांत सुप्रिय जी ।
वर्ष २०१६ में अक्तूबर महीने में कक्षा ९वीं के पाठ्यपुस्तक में आया हुआ पाठ 'हिला हुआ आदमी' पाठ अध्यापन नियोजन के अनुसार पढ़ाना था। मैंने पूर्व तैयारी हेतु पाठ २ बार पढ़ा, कुछ टिप्पणियाँ निकाली। जब यह तैयारी कर रहा था तो एक विचित्र बात सामने आ रही थी। वह यह थी कि प्रस्तुत पाठ डायरी शैली में लिखा है और डायरी का हर पन्ना अपने-आप में सामजिक मनोविकृति का दर्शन करनेवाला और सबक देनेवाला था। डायरी लेखन का बढ़िया कौशल देखने, पढ़ने और पढ़ाने का मौका था। डायरी लेखक सुधाकर समाज की वास्तविकता से पूरा हिला हुआ नजर आया। यह सुधाकर सुशांत सुप्रिय जी के मित्र है और इस डायरी को पढ़ने के लिए सुधाकर जी ने सुशांत सुप्रिय जी को दी। वहीं डायरी के १० पन्ने आज की मनुष्य की छिपी वास्तविकता को दर्शाते है।
इस पाठ के सिलसिले में मैंने सुशांत सुप्रिय जी का मोबाईल नंबर खोजकर संपर्क किया। पहली बार आपसे बातचीत कर रहा था तो थोड़ा डर भी था और उपर से संसद से जुड़े हुए। मन में बात थी की कि क्या आपके पास समय होगा? मेरे साथ कैसे बातचीत करेंगे ? बहुत-से प्रश्न मन में उठ रहे थे। फिर भी कॉल किया वक्त शाम ७ से ७.३० के दरम्यान होगा।
सामने से आवाज आई, "हाँ, कहिए सुशांत सुप्रिय बात कर रहा हूँ, क्या सेवा हो?"
मैंने कहा,"सेवा तो नहीं चाहिए, आपसे कुछ बात करनी है। क्या आपका थोड़ा वक्त मिलेगा?"
"जी कहिए। "
"मैं मच्छिंद्र भिसे हूँ और महाराष्ट्र की अंग्रेजी माध्यम की पाठशाला में हिंदी विषय अध्यापक हूँ। आपकी रचना 'हिला हुआ आदमी' कक्षा ९वीं के पाठ्यपुस्तक में लगी है।"
"यह तो मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मुझे भी पता नहीं था। बहुत-बहुत शुक्रिया मच्छिंद्र जी। "
"सर, मैं चाहता हूँ कि आप मेरे छात्रों के साथ वार्तालाप करेंगे तो मुझे ख़ुशी होगी। "
"जरूर, जरूर ! मुझे तो ख़ुशी होगी। आप तिथि और समय तय कीजिए। मैं तैयार रहूँगा।"
इस कॉल के बाद मैंने २५ अक्तूबर २०१६ के दिन दोपहर १.३० बजे का समय निश्चित किया और सुशांत सुप्रिय जी ने मेरी पाठशाला के प्रधानाचार्य, अध्यापक और छात्रों ने वार्तालाप किया। आदरणीय सुशांत सुप्रिय जी ने साक्षात्कार में अपने पारिवारिक जीवन, शिक्षा, लेखन के प्रति रुझान बढ़ने के कारन, हिला हुआ आदमी पाठ की जानकारी, मौलिक विचार एवं जीवन की वास्तविकता से छात्रों को परिचित किया। बिल्कुल सहज एवं स्वाभाविक वार्तालाप के माध्यम से आपने अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व से परिचित कराया।
यह वार्तालाप मेरे जीवन का बहुत आनंद का क्षण रहा क्योंकि मैंने पहली बार किसी साहित्यिक रचनाकार से प्रत्यक्ष बातचीत की। बहुत-बहुत धन्यवाद।
आपका
मच्छिंद्र भिसे
सातारा, महाराष्ट्र
सुशांत सुप्रिय जी का परिचय
जन्म : 28 मार्च 1968, पटना, बिहारभाषा : हिंदी, अंग्रेजीविधाएँ : कविता, कहानी, लघुकथा, अनुवाद
मुख्य कृतियाँ
कहानी संग्रह : हत्यारे, हे राम
कविता संग्रह : एक बूँद यह भी (हिंदी), इन गांधीज कंट्री (अंग्रेजी)
संपर्क
मार्फत श्री एच.बी. सिन्हा, 5174, श्यामलाल बिल्डिंग, बसंत रोड, (निकट पहाड़गंज), नई दिल्ली - 110055
फोन : 09868511282, 08512070086
ई-मेल : sushant1968@gmail.com
सुशान्त सुप्रिय का जन्म 28 मार्च 1968 को पटना में हुआ तथा इनकी शिक्षा-दीक्षा अमृतसर, पंजाब तथा दिल्ली में हुई। हिन्दी में अब तक इनके दो कथा-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं:'हत्यारे' (२०१०) तथा 'हे राम' (२०१२)।मेरा पहला काव्य-संग्रह 'एक बूँद यह भी' 2014 में प्रकाशित हुआ है। अनुवाद की एक पुस्तक 'विश्व की श्रेष्ठ कहानियाँ' प्रकाशनाधीन है। इनकी सभी पुस्तकें नेशनल पब्लिशिंग हाउस, जयपुर से प्रकाशित हुई हैं।
इनकी कई कहानियाँ तथा कविताएँ पुरस्कृत तथा अंग्रेज़ी, उर्दू, असमिया, उड़िया, पंजाबी, मराठी, कन्नड़ व मलयालम में अनूदित व प्रकाशित हो चुकी हैं।पिछले बीस वर्षों में इनकी लगभग 500 रचनाएँ देश की सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।
इनकी कविता "इस रूट की सभी लाइनें व्यस्त हैं" पूना वि. वि. के बी. ए. (द्वितीय वर्ष) पाठ्यक्रम में शामिल है व विद्यार्थियों को पढ़ाई जा रही है। इनकी दो कहानियाँ, "पिता के नाम" तथा "एक हिला हुआ आदमी" हिन्दी के पाठ्यक्रम के तहत कई राज्यों के स्कूलों में क्रमश: कक्षा सात और कक्षा नौ में पढ़ाई जा रही हैं। आगरा वि. वि., कुरुक्षेत्र वि.वि. तथा गुरु नानक देव वि.वि., अमृतसर के हिंदी विभागों में इनकी कहानियों पर शोधार्थियों ने शोध-कार्य किया है।
'हंस' में 2008 में प्रकाशित इनकी कहानी "मेरा जुर्म क्या है? " पर short film भी बनी है।
आकाशवाणी, दिल्ली से कई बार इनकी कविताओं और कहानियों का प्रसारण हुआ है।
पंजाबी और अंग्रेज़ी में भी लेखन-कार्य करते हैं। अंग्रेज़ी काव्य-संग्रह 'इन गाँधीज़ कंट्री' हाल ही में प्रकाशित हुआ है। इनका अंग्रेज़ी कथा-संग्रह 'द फ़िफ़्थ डायरेक्शन' प्रेस में है।
इन्होने 1994-1996 तक डी. ए. वी. कॉलेज, जालंधर में अंग्रेज़ी व्याख्याता के रूप में भी कार्य किया है।
साहित्य के अलावा इनकी रुचि संगीत, शतरंज, टेबल टेनिस और स्केचिंग में भी है।
पिछले पंद्रह वर्षों से मैं संसदीय सचिवालय में अधिकारी हूँ और दिल्ली में रहता हूँ।
कहानियाँ : पढ़ने के लिए नीचे दिए शीर्षक पर क्लिक करें।
एक दिन अचानकझाड़ू
पिता के नाम
बर्फ
भूतनाथ
मिसफिटकविताएँ
‘जो काल्पनिक कहानी नहीं है’ की कथा
इक्कीसवीं सदी में हिंदी-कवि
इस रूट की सभी लाइनें व्यस्त हैं
इंस्पेक्टर मातादीन के राज में
एक जलता हुआ दृश्य
थोड़ा साथ, थोड़ा हट कर
माँव्यंग्य
दुमदार जी की दुम
अनुवाद कहानियाँ
अनजाने द्वीप की कथा
आईना
उसकी पहली उड़ान
गोल खंडहर
दुख
दंपति
दूसरे देश में
नदी का तीसरा किनारा
मेंढक का मुँह
मृतकों का मार्ग
मस्सा
विशाल पंखों वाला बहुत बूढ़ा आदमी
सुखद अंत
उपर्युक्त उपलब्ध की जानकारी एवं साहित्यिक रचनाएँ 'हिंदी समय' इस वेबसाइड से आपकी सहायता एवं वाचन के लिए योगदान मिले इसलिए साभार प्रस्तुत है।
संकलन
श्री. मच्छिंद्र बापू भिसे
ग्राम भिरड़ाचीवाड़ी, पोस्ट भुईंज,
तहसील वाई, जिला सातारा
महाराष्ट्र ४१५ ५१५
९५४५८४००६३ / ९७३०४९१९५२
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