ई - पत्र लेखन
सभी हिंदी अध्यापक भाई, बहन एवं छात्र मित्रों को प्यारभरा नमस्कार।
शैक्षिक वर्ष २०१८-१९ से महाराष्ट्र शिक्षा विभाग हिंदी विषय पाठ्यक्रम में ई-पत्र लेखन यह घटक आया हुआ है। इस पत्र लेखन के आवश्यक प्रारूप के अनुसार पत्र लेखन कैसे अपेक्षित है, इसकी जानकरी आपके साथ साझा कर रहा हूँ। विश्वास है कि निम्न जानकारी का लाभ सभी अध्यापक एवं छात्रों को जरुर होगा।
ई-पत्र का प्रारूप बनाते वक्त ध्यान में रखने योग्य बातें -
पूर्व पत्र लेखन पद्धति और नई पद्धति में हुए बदलाओं का निरिक्षण करे।
निरिक्षण से पता चलने वाली बातें और आवश्यक परिवर्तन -
अ. पूरा पत्र बायीं ओर छोड़े हाशिए (मार्जिन) को चिपककर लिखना अनिवार्य है।
आ. प्रेषक का पूरा पता दाईं ओर से निकलकर समाप्ति की स्वाक्षरी के बाद लिखा जाएग।
इ. दिनांक अब प्रेषक के नीचे न लिखकर प्राप्तकर्ता / संबोधन के पूर्व ऊपर की पंक्ति पर बायीं ओर लिखा जाए।
ई. पत्र प्राप्तकर्ता का पूरा पता हमेशा की तरह ही लिखा जाए तथा उसके नीचे उसका ई - पता (E-Mail ID) लिखा जाए।
*** : अनौपचारिक (घरेलु) पत्र में पाने वाले का पता लिखा नहीं जाता है, परंतु ई-मेल पत्र में पाने वाले का ई-मेल पता तो देना जरुरी होगा। अनौपचारिक पत्र में दिनांक के नीचे पाने वाले का सिर्फ पूरा नाम लिखें और अगली पंक्ति पर नाम के अनुसार ई-मेल पता (E-Mail ID) लिखने पर औपचारिक पत्र भी ई-मेल पत्र बनेगा। इसमें प्राप्तकर्ता का पूरा पता लिखने की कोई आवश्यकता नहीं है। (महत्त्वपूर्ण: यदि परीक्षा में प्राप्त कर्ता का पता दिया हो तो जरुर दर्ज करें।)
*** : अनौपचारिक (घरेलु) पत्र में पाने वाले का पता लिखा नहीं जाता है, परंतु ई-मेल पत्र में पाने वाले का ई-मेल पता तो देना जरुरी होगा। अनौपचारिक पत्र में दिनांक के नीचे पाने वाले का सिर्फ पूरा नाम लिखें और अगली पंक्ति पर नाम के अनुसार ई-मेल पता (E-Mail ID) लिखने पर औपचारिक पत्र भी ई-मेल पत्र बनेगा। इसमें प्राप्तकर्ता का पूरा पता लिखने की कोई आवश्यकता नहीं है। (महत्त्वपूर्ण: यदि परीक्षा में प्राप्त कर्ता का पता दिया हो तो जरुर दर्ज करें।)
विशेष : दोनों (प्रेषक एवं प्राप्तकर्ता) का ई-मेल पता लिखना आवश्यक हैं क्योंकि अब लिफाफा /सिरनामा नहीं बनाना हैं, इसलिए ई-मेल पत्र में प्राप्तकर्ता का भी ई-मेल पता देना आवश्यक है अन्यथा पत्र का प्रारूप अधूरा रहेगा।
उ. प्राप्तकर्ता के पते के बाद संक्षेप में हाशिए (मार्जिन) को चिपककर विषय लिखा जाए। (विषय पहले की तरह मध्य में नहीं )*** : अनौपचारिक (घरेलु) पत्र में पत्र के शुरआत में ही विषय लिखा जाए ताकि पत्र का विषय वस्तु का पता चल सके। मध्य में किसी भी हाल में विषय न लिखा जाए।
ऊ. फिर महोदय / महोदया संबोधन लिखा जाए तथा अगली पंक्ति पर अनुच्छेद करके मुख्य कलेवर कम से कम ३ अनुच्छेद में हो। (प्रारंभ, मध्य, समापन)
ऋ. कलेवर के बाद बायीं ओर ही समाप्ति सूचक शब्द पत्र प्रकार के अनुसार लिखा जाए। (भवदीय/भवदीय, आपका/आपकी, आपका/आपकी विश्वासी-कृपाभिलाषी आदि) और भेजने वाले का सिर्फ नाम लिखें अथवा स्वाक्षरी (अ.ब.क. / पवन / रश्मि आदि प्रेषक के अनुसार)
ए. स्वाक्षरी के बाद प्रेषक का पूरा नाम, पूरा पता लिखना अनिवार्य है।
ऐ. पता लिखने के बाद पत्र लिखने वाले का ई-पता (E-Mail ID) लिखना अनिवार्य है।
ओ. ई - पत्र के साथ कुछ संलग्न (ATTACHMENT) करना हैं तो पत्र लिखने वाले के ईमेल पते के बाद एक पंक्ति छोड़कर लिख सकते है।
औ. ई-मेल में विषय पत्र के प्रारंभ में लिखा जाता हैं तो छात्रों को शुरआत में भी विषय लेखन की आदत डालेंगे तो और अच्छा है; परंतु भूल से पुरे पत्र में विषय किसी भी स्थान पर न लिखा जाए तो पुरे अंक जाने की संभावना है क्योंकि विषय के आभाव में अंक नहीं मिलते।
उपर्युक्त सभी बातों को गौर करते हुए ई-पत्र में सुलेखन, शुद्धलेखन के साथ विषय विस्तार एवं प्रस्तुति करने पर छात्रों को शत-प्रतिशत अंक पाने में कोई समस्या नहीं होगी ।
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आप सभी की सुविधा के लिए ई-पत्र के कुछ नमूने साझा कर रहा हूँ, आशा है सभी को पसंद आएँगे।
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औपचारिक - ई-पत्र क्रमांक १
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24 सितंबर 2020
सेवा में,
प्रधानाचार्य जी,
जवाहर पब्लिक स्कूल, जनकपुरी,
प्रधानाचार्य जी,
जवाहर पब्लिक स्कूल, जनकपुरी,
दिल्ली -18
jpsj@gmail.com
विषय : फीस माफ़ी हेतु पत्र।
महोदय ,
विषय : फीस माफ़ी हेतु पत्र।
महोदय ,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय का कक्षा 10 का छात्र हूँ। मेरे पिता जी अपने छोटे-से व्यवसाय द्वारा बड़ी कठिनाई से परिवार का पालन-पोषण करते हैं। बढ़ती महँगाई के कारण काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। घर में आवश्यक वस्तुओं का अभाव रहता है। मेरी छोटी बहन और भाई भी अन्य कक्षाओं में पढ़ रहे हैं, उनकी पढ़ाई -लिखाई आदि के खर्चे का बोझ पिता जी के सर पर लदा रहता है।
मै अपनी कक्षा का परिश्रमी छात्र हूँ और कक्षा में सदैव प्रथम आता हूँ। खेलकूद में भी मेरी अच्छी रूचि है। अतः आपसे निवेदन है कि आप मेरी विद्यालय की फीस माफ़ करके सहयोग प्रदान करें ताकि मैं निश्चिंत होकर अध्ययन कर सकूँ। मेरे अभिवावक आपके अत्यंत आभारी रहेंगे।
मुझे विश्वास है कि आप मेरी फीस माफ़ करेंगे और सहयोग प्रदान करेंगे।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
जयप्रताप
जयप्रताप
जयप्रताप सिंह,
आनंद विहार,
इंडिया गेट रोड,
दिल्ली - १७
jaisingh@gmail.com
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औपचारिक - ई-पत्र क्रमांक २
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विषय : विद्यालय में अनुपस्थिति पर प्रधानाचार्य को पत्र
24 सितंबर 2020
सेवा में,प्रधानाचार्य,
सैंट मैरी पब्लिक स्कूल,
वसंत विहार,
नई दिल्ली-110057
smps@gmail.com
विषय : विद्यालय में अनुपस्थिति को लेकर पत्र ।
महोदय,
मैं क्षमा प्रार्थी हूँ कि मैं दिनांक 16 एवं 17 सितंबर को अपनी कक्षा में उपस्थित नहीं रह सका क्योंकि मेरे पिता जी शहर से बाहर गए हुए थे। मेरी माँ को अचानक तेज बुखार आने के कारण बीमार हो गई थीं। घर में उनकी देखभाल के लिए कोई नहीं था। मैं आपको पहले से इस विषय में सूचित करने की स्थिति में नहीं था।
अतः इन दो दिनों में संपन्न पढ़ाई मैं स्वयं अध्ययन से कर लूँगा और आपको किसी प्रकार की शिकायत का मौका नहीं दूँगा।
महोदय,
मैं क्षमा प्रार्थी हूँ कि मैं दिनांक 16 एवं 17 सितंबर को अपनी कक्षा में उपस्थित नहीं रह सका क्योंकि मेरे पिता जी शहर से बाहर गए हुए थे। मेरी माँ को अचानक तेज बुखार आने के कारण बीमार हो गई थीं। घर में उनकी देखभाल के लिए कोई नहीं था। मैं आपको पहले से इस विषय में सूचित करने की स्थिति में नहीं था।
अतः इन दो दिनों में संपन्न पढ़ाई मैं स्वयं अध्ययन से कर लूँगा और आपको किसी प्रकार की शिकायत का मौका नहीं दूँगा।
मुझे विश्वास है कि आप मुझे उचित प्रेरणा और मार्गदर्शन करेंगे।
आपका आज्ञाकारी शिष्य,
अनूप
अनूप त्रिपाठी,
अनूप
अनूप त्रिपाठी,
शांति सदन,
आनंद नगर,
नई दिल्ली - 25
anuptripathi@gmail.com
anuptripathi@gmail.com
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औपचारिक - ई-पत्र क्रमांक ३
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विषय : पुस्तक विक्रेता से पुस्तकें मँगवाने हेतु पत्र।
सेवा में,
मा. प्रबंधक,
नवीन प्रकाशन,
922, कूँचा रोहिल्ला खान,
नई दिल्ली - 2
navinprakashan@gmail.com
विषय : पुस्तक विक्रेता से पुस्तकें मँगवाने हेतु पत्र।
महोदय,
आपके द्वारा भेजा गया किताबों का सूचि पत्र मिला। धन्यवाद।
आपसे अनुरोध है कि आपकी सूचि में से चुनी हुईं निम्नलिखित पुस्तकें अंत में दिए पते पर शीघ्रातिशीघ्र भेजने का कष्ट करें। इस पत्र के साथ 500 रूपए अग्रीम भेज जा रहा हूँ। शेष रकम किताबें मिलते ही आपके बैंक खाते में जमा कर देंगे। किताबों की मूल कीमत पर उचित छूट दीजिए। स्मरण रहे कि सभी पुस्तकें ठीक स्थिति में होनी चाहिए।
किताबों की सूची -
राजनीति शास्त्र प्रथम वर्ष - 5 प्रतियाँ
अर्थशास्त्र प्रथम वर्ष - 10 प्रतियाँ
भारत का इतिहास - एस. के. चंद - 8 प्रतियाँ
शतरंज के खिलाड़ी - मुंशी प्रेमचंद - 5 प्रतियाँ
मेलुहा के मृत्युंजय - अमीश त्रिपाठी - 2 प्रतियाँ
आशा हैं कि आप यथाशीघ्र किताबें भेजने का प्रबंध करेंगे।
सधन्यवाद !!!
भवदीय,आपसे अनुरोध है कि आपकी सूचि में से चुनी हुईं निम्नलिखित पुस्तकें अंत में दिए पते पर शीघ्रातिशीघ्र भेजने का कष्ट करें। इस पत्र के साथ 500 रूपए अग्रीम भेज जा रहा हूँ। शेष रकम किताबें मिलते ही आपके बैंक खाते में जमा कर देंगे। किताबों की मूल कीमत पर उचित छूट दीजिए। स्मरण रहे कि सभी पुस्तकें ठीक स्थिति में होनी चाहिए।
किताबों की सूची -
राजनीति शास्त्र प्रथम वर्ष - 5 प्रतियाँ
अर्थशास्त्र प्रथम वर्ष - 10 प्रतियाँ
भारत का इतिहास - एस. के. चंद - 8 प्रतियाँ
शतरंज के खिलाड़ी - मुंशी प्रेमचंद - 5 प्रतियाँ
मेलुहा के मृत्युंजय - अमीश त्रिपाठी - 2 प्रतियाँ
आशा हैं कि आप यथाशीघ्र किताबें भेजने का प्रबंध करेंगे।
सधन्यवाद !!!
दीपक
दीपक शुक्ला,
पुस्तकाध्यक्ष,
डी. ए. वी. गर्ल्स कॉलेज,
मेस्टन रोड,
मेस्टन रोड,
लखनऊ -111 111
deepakshukla@gmail.com
deepakshukla@gmail.com
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अनौपचारिक - ई-पत्र क्रमांक १
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विषय : परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के उपलक्ष्य में बधाई पत्र।
24 सितंबर 2020
दीपक यादव
deepakyadav@gmail.com
प्रिय मित्र दीपक,
सप्रेम नमस्ते!
मुझे विश्वास है कि आप सभी कुशल मंगल होंगे। आज सुबह समाचार पत्र से से ज्ञात हुआ कि तुम बोर्ड परीक्षा में दिल्ली में प्रथम आए हो। यह समाचार को पढ़कर मेरा मन ख़ुशी से भर आया। तुम्हें हार्दिक-हार्दिक बधाइयाँ !
मुझे तो पहले से ही विश्वास था कि तुम प्रथम श्रेणी में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होंगे लेकिन यह जानकार कि तुमने प्रथम श्रेणी के साथ-साथ जिले में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया है, मेरी प्रसन्नता की सीमा न रही। इस परीक्षा के लिए तुम्हारे कठिन परिश्रम ने ही वास्तव में तुम्हें सफलता की इस ऊँचाई तक पहुँचाया है। मुझे तो पहले से ही पूरी आशा थी की तुम्हारा परिश्रम रंग अवश्य ही दिखाएगा और मेरा अनुमान सच साबित हुआ। तुमने प्रथम स्थान प्राप्त कर यह दिखा दिया कि दृढ संकल्प और कठिन परिश्रम से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है।
मैं सदैव यह कामना करता हूँ कि तुम ऐसे ही जीवन की हर परीक्षा में प्रथम आओ और इसी प्रकार अपने परिवार का और अपने विद्यालय का नाम रौशन करो। आपके परिजनों को सादर चरणस्पर्श।
तुम्हारा मित्र,
आकाश
आकाश मिश्रा,
११ बी विकासखंड,
लखनऊ-२५
makash@gmail.com
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अनौपचारिक - ई-पत्र क्रमांक २
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विषय : पिता द्वारा पुत्र को समय के सदुपयोग पर पत्र
24 सितंबर 2020
राहुल भंडारी
rahul@gmail.com
प्रिय राहुल
बहुत-बहुत आशीष!
आशा है तुम स्वस्थ और प्रसन्न होंगे। पिछले शनिवार को ही तुम्हारा पत्र मिला था। यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई कि तुम्हारा मन छात्रावास में लग रहा है। कल तुम्हारे छात्रावास अधीक्षक से बात हुई थी। पता चला कि तुम इधर-उधर घूमने में बहुत रूचि लेते हो।
बेटे ! हमने तुम्हे छात्रावास में इस आशा और विश्वास के साथ भेजा है कि तुम खूब ध्यान से पढ़ोगे। जब से तुम्हारी माँ ने यह सुना है कि तुम ठीक से पढ़ाई न करके मित्रों के साथ घुमते रहते हो, तब से वह बहुत अधिक चिंतित रहने लगी है। तुम अपनी माँ को जानते हो। वह बहुत अधिक चिंता करती है। तुम पढ़ाई में मन लगाओ और माँ को पत्र लिखकर विश्वास दिलाओ कि तुम्हें पढ़ाई की पूरी चिंता है। यहाँ परिवार में सब कुशलमंगल हैं।
मुझे विश्वास है कि तुम हमारा विश्वास जीतोगे। हार्दिक मंगल कामनाएँ!
तुम्हारा पिता,
प्रशांत
प्रशांत भंडारी
29/623
नोएडा - 25 ( उत्तर प्रदेश )
prashantb@gmail.com
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अनौपचारिक - ई-पत्र क्रमांक ३
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विषय : एक दिन अपने साथ बिताने हेतु मित्र को आमंत्रित करते हुए पत्र
24 सितंबर 2020
रेशमा राणे
107 सुभाष नगर
नई दिल्ली- 110027
reshamarane@gmail.com
प्यारी रेशमा,
सप्रेम नमस्ते !
मुझे विश्वास है कि तुम और तुम्हारे अभिभावक सकुशल होंगे। तुझे पता है कि हम दोनों का अगले सप्ताह बुधवार को अवकाश का दिन है। हमें मिले हुए बहुत समय हो गया है। अगर उस दिन तुम्हारी कोई और योजना नहीं है तो तुम एक दिन के लिए यहाँ क्यों नहीं आ जाती? हम कहीं पिकनिक पर चले जाएँगे या पास के सिनेमाघर में फिल्म देखने जाएँगे।
कृपया अवश्य आना और मना मत करना। मेरी माँ और पिता जी तुम्हारे बारे में पूछ रहे हैं। वे दोनों तुम्हे देखकर बहुत खुश होंगे। तुम्हारे माता-पिता को सादर अभिवादन!
अपने आने के बारे में शीघ्र व अवश्य लिखना। शेष बातें मिलने पर करेंगे।
तुम्हारी सखी,
जैसमिन
जैसमिन कालरा,
107 सुभाष नगर,
नई दिल्ली- 110027
jaiskalara@gmail.com
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लेखन एवं संकल्पना
मच्छिंद्र भिसे ©®
सातारा (महाराष्ट्र)
9730491952
-0-
hinditeacherssatara.blogspot.in
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सातारा (महाराष्ट्र)
9730491952
-0-
hinditeacherssatara.blogspot.in
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सराहनीय कार्य
ReplyDeleteThank u sir for knowledge
ReplyDeleteExcellent work 👌🏻👌🏻👍🏻
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया सर जी, हिंदी अध्यापकों के लिए उपयुक़्त धन्यवाद
ReplyDeleteGood job Sir
ReplyDeleteThank u sir for knowledge ऐरे ही हमे लेसन प्लान मिलेंगे तो हमे बहुत ही फायदा होगा सर
ReplyDeletethanks sir
sir do you know koli sir ichalkaranji
ReplyDeleteजी
Deleteबहुत ही बढ़िया जानकारी .... धन्यवाद
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति सर। बेहद उपयोगी है।
ReplyDeleteexcellent
ReplyDelete