वंदनीय एवं आदरणीय 'सुरेश कुशवाहा 'तन्मय' जी' से कुछ दिन
पूर्व ही परिचय हुआ। आप मिलनसार हैं। आपकी साहित्यिक एवं साहित्यिक पाठकों से लगाव का परिचय कुछ ही दिन पहले हुआ। आपने निशुल्क अपनी साहित्यिक रचनाएँ पठन के लिए दी। इस हेतु आपके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
आदरणीय, वंदनीय सुरेश तन्मय जी,
सादर नमन,
आपके द्वारा भेजी गई साहित्यिक धन मुझे तिथि १३ जनवरी २०१८ के दिन प्राप्त हुआ। आपकी स्वरचित 'अक्षर दीप जलाए' (बाल काव्य संग्रह २ प्रतियाँ), 'अंदर एक समुन्दर' (लघुकथा संग्रह) और 'शेष कुशल है' (काव्य संग्रह २ प्रतियाँ ) रचनाओं को सहृदय स्वीकार है। बहुत-बहुत मनःपूर्वक आभार।
आपकी साहित्यिक निधि प्राप्त होते ही मैंने मेरी कक्षा में छात्रों के समक्ष साहित्यिक कृति का परिचय करते हुए, आपकी रचनाएँ छात्रों को पढ़ने दी है। आपकी तीनों साहित्यिक कृतियाँ बहुत ही रोचक एवं ज्ञानवर्धक हैं। छात्र इन्हें पाकर और पढ़कर बहुत खुश हैं। मैंने आपकी काव्यकृति 'शेष कुशल है' पूरी पढ़ी. छात्रों ने भी यह किताब बहुत पसंद की। मेरे लिए एवं मेरे छात्रों के लिए दी यह साहित्यिक निधि बहुत ही अनमोल है। आपके इस सहयोग के लिए बहुत- बहुत धन्यवाद। आपको भविष्य समय स्वास्थ्य संपदा से परिपूर्ण एवं खुशहाल हो ऐसी मंगल कामना करते हैं।
आपका कृपाभिलाषी,
मच्छिंद्र बापू भिसे
भुईंज, तहसील वाई, जिला सातारा
महाराष्ट्र
तन्मय जी से किताबें प्राप्त होने के बाद छात्रों ने तन्मय जी से बातचीत की। यह बातचीत सुनने के लिए नीचे दिए शीर्षक पर क्लिक करें।
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