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Monday, 9 October 2017

'वाचन प्रेरणा दिवस'

१५ अक्तूबर - वाचन प्रेरणा दिवस     
           १५ अक्तूबर का दिवस महाराष्ट्र में 'वाचन प्रेरणा दिवस' के रूप में वर्ष २०१५ से मनाया जा रहा हैं।  जिस महान इंसान ने छोटे से गाँव से निकलकर राष्ट्रपति पद तक पहुँचने की क्षमता रखी, ऐसे महामानव दिवंगत राष्ट्रपति एवं बालकों से लेकर- वैज्ञानिकों तक, और गाँव से लेकर विश्व तक जिनकी ख्याति मिसाइल मैन के नाम से पहचान  करने वाले शिक्षक ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी का जन्म दिवस है। सचमुच हम भाग्यशाली हैं कि आप जैसे इंसान ने विश्व में अपना नाम कमाया पर लोगों के दिल में इस कदर बस गए कि जमाने बदलते रहेंगे पर आपका ज्ञान, विज्ञानं, शिक्षा की दीक्षा को पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित किया जाएगा। जिसकी मुट्ठी में आत्मविश्वास हो, स्वयं मेहनत के पूजक हो और समय के आगे दो कदम चलने का जज्बा हो तो दुनिया  दिलों पर राज कर सकते है, ऐसा महामंत्र  देकर नई पीढ़ी के जीवन में नई ऊर्जा भर देने का कार्य किया है वह अद्वितीय एवं बेजोड़ है।
 आप भले ही हमारे साथ नहीं हो परंतु आप हमारे ह्रदय में विराजित हो।
आपके कृतित्व एवं व्यक्तित्व को विनम्र अभिवादन। 

(वाचन प्रेरणा दिवस के अवसर पर ई-किताबें पढ़ने के लिए वाचन प्रेरणा दिवस चित्र पर क्लिक करें। )

स्वर्गीय श्री ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी का परिचय 

          हमारे देश के ग्यारहवें राष्ट्रपति, एक ख्याति प्राप्त कुशल वैज्ञानिक, लेखक तथा युवा पीढ़ी के पथ प्रदर्शक, जी हाँ हम बात कर रहे हैं स्वर्गीय श्री ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी की, जो न जाने कितने ही लोगों के लिए प्रेरणा (Inspiration) बन गए। ये एक उच्च विचारों वाले व्यक्ति थे जिन्होंने तमिलनाडु के छोटे से गाँव में जन्म लिया था। अपनी कड़ी तपस्या और उच्च सिद्धांतों के कारण ही वे इस मुकाम तक पहुंचे। भारत के हर घर में उनका नाम बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाता है, यहाँ का हर विद्यार्थी उनको अपना आदर्श स्वरूप मानता है। इनके कई कथनों ने युवाओं को एक नई दिशा प्रदान की।

                   ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी ने बारहवीं रामनाथपुरम में स्थित स्च्वार्त्ज़ मैट्रिकुलेशन स्कूल (Schwartz Higher Secondary School) में सम्पन्न की। तत्पश्चात उन्होंने स्नातक की उपाधि (Bachelor Degree) प्राप्त करने हेतु सैंट जोसफ कॉलेज (St. Joseph College) में दाखिला लिया जो तिरुचिराप्पल्ली में स्थित है। किन्तु यहाँ उनकी शिक्षा का अंत नहीं हुआ, उन्हें पढने व् सीखने का बहुत शौक था। वह आगे की पढ़ाई हेतु 1955 में मद्रास जा पहुंचे जहां से उन्होंने 1958 में अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उनका सपना था कि वह भारतीय वायु सेना में फाइटर प्लेन के चालक यानि पायलट (Pilot) बन सकें, परन्तु यह पूर्ण न हो पाया, पर फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। इसके पश्चात उन्होंने भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (DRDO) में प्रवेश किया जहां उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना का सफल संचालन किया। परन्तु DRDO में अपने कार्यों से संतुष्ट न होने के कारण उन्होंने इसे छोड़ दिया।

                   इसके पश्चात उन्होंने 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में प्रवेश किया | इसरो (ISRO) में ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी ने कई परियोजनाओं का सफलतापूर्वक संचालन किया, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण था उनके द्वारा भारत के पहले उपग्रह “पृथ्वी” जिसे SLV3 भी कहा जा सकता है, का पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया जाना। इस कार्य को कलाम जी ने 1980 में बहुत ही मेहनत तथा लगन के साथ संपन्न किया। उनकी इसी सफलता के बाद भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन पाया। इस दौर में वह इसरो (ISRO) में भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान परियोजना के निदेशक के पद पर नियुक्त थे। इसरो के कार्यकाल के दौरान ही उन्होंने और भी उपलब्धियां हासिल कीं जैसे – नासा की यात्रा, प्रसिद्ध वैज्ञानिक राजा रमन्ना के साथ मिलकर भारत का पहला परमाणु परीक्षण, गाइडेड मिसाइल्स को डिज़ाइन करना।

                      इन सबके पश्चात ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी एक सफल तथा ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक (Scientist) बन चुके थे और इन्हें “मिसाइल मैन (Missile Man)” के नाम से भी जाना जाने लगा था। 1981 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। 1982 में वह पुन: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के निदेशक के रूप में विद्यमान हुए। अब उन्होंने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) की तरफ अपना ध्यान केन्द्रित किया।

                          ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी को 1990 में फिर पद्म विभूषण से नवाज़ा गया। तत्पश्चात वे 1992 से लेकर 1999 तक के कार्यकाल में रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार के पद पर नियुक्त रहे, साथ ही वह सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव भी थे। 1997 में उनका भारत के प्रति योगदान देखते हुए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उन्हीं के नेतृत्व में 1998 में भारत ने अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया। कलाम साहब की ही देन है कि भारत आज परमाणु हथियार के निर्माण में सफल हो पाया है। इस दौर में वह भारत के सबसे प्रसिद्ध एवं सफल परमाणु वैज्ञानिक (Nuclear Scientist) थे।

                    2002 में उनके प्रति भारत की जनता में सम्मान देखते हुए, जीवन की उपलब्धियों तथा भारत के प्रति उनका लगाव देखते हुए एन. डी. ए. ने उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया। फलस्वरूप वह चुनाव में विजयी होकर 2002 में भारत के राष्ट्रपति (President) के रूप में हमारे सामने आये। उन्हें “जनता का राष्ट्रपति (People’s President)” कहकर संबोधित किया जाने लगा।

                 उनके इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई सभाएं संबोधित कीं जिनमें उन्होंने भारत के तथा यहाँ रह रहे युवाओं के भविष्य को बेहतर बनाने हेतु बातों पर जोर दिया | यह तो हम सभी जानते हैं कि ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी अपनी निजी ज़िंदगी में एक सरल तथा अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे | वे बच्चों से बहुत अधिक स्नेह करते थे, उन्हें हमेशा ऐसी सीख देते थे जो उनके भविष्य को बेहतर बनाने में सहायता करे | वे राजनीतिक व्यक्ति नहीं थे, किन्तु राजनीति में रहकर वे देश के विकास के बारे में सोचते थे | वे जानते थे कि युवाओं का बेहतर विकास ही देश को आगे लेकर जा सकता है | वे चाहते थे कि परमाणु हथियारों के क्षेत्र में भारत एक बड़ी शक्ति के रूप में जाना जाए |

                  उनका कहना था कि "2000 वर्षों के इतिहास में भारत पर 600 वर्षों तक अन्य लोगों ने शासन किया है। यदि आप विकास चाहते हैं तो देश में शांति की स्थिति होना आवश्यक है और शांति की स्थापना शक्ति से होती है। इसी कारण प्रक्षेपास्त्रों को विकसित किया गया ताकि देश शक्ति सम्पन्न हो।"

                ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी का राष्ट्रपति कार्यकाल 2007 में समाप्त हुआ | इसके पश्चात वह कई जगहों पर प्रोफेसर (Professor) के तौर पर कार्यरत रहे जैसे- शिलोंग, अहमदाबाद तथा इंदौर के भारतीय प्रबंधन संस्थानों, व् बैंगलोर के भारतीय विज्ञान संस्थान में | उसके बाद वह अन्ना विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग (Aerospace Engineering) के प्रोफेसर रहे | A.P.J. Abdul Kalam ने भारत के कई अन्य प्रसिद्ध शैक्षिक संस्थानों में भी अपना योगदान दिया |

                  आप में से शायद बहुत कम लोग ये जानते होंगे कि वे गीता और कुरान, दोनों का अनुसरण करते थे | उन्हें भक्ति गीत सुनने का तथा वाद्य यन्त्र बजाने का भी बहुत शौक था | उनका लगाव भारत की संस्कृति (Tradition) के प्रति बहुत अधिक था |

                       27 जुलाई 2015 को ये “मिसाइल मैन (Missile Man)” हम सब को छोड़ कर चले गए तथा उनका जाना हमारे देश के लिए कभी पूर्ण न होने वाली क्षति (Loss) थी | कलाम साहब की मृत्यु की वजह दिल का दौरा था | यह उस वक़्त हुआ जब वह शिलोंग के भारतीय प्रबंधन संस्थान में एक व्याख्यान (Lecture) दे रहे थे | 28 जुलाई को उन्हें दिल्ली में तथा 29 जुलाई को उन्हें मदुरै में श्रद्धांजलि (Tribute) दी गयी | 30 जुलाई को उन्हें उन्ही के नगर रामेश्वरम के पी करूम्बु ग्राउंड में पूरे सम्मान के साथ दफनाया गया तथा यहाँ उन्हें 3,50,000 से ज्यादा नागरिक श्रध्दांजलि देने पहुंचे | शायद आप जानते नहीं होंगे की गूगल भी उनकी पुण्य तिथि पर अपने मुख्य पृष्ठ (Home Page) पर काला रिबन दिखा रहा था | भारत सरकार ने उनके सम्मान (Honor) में सात दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की |

                            संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वर्गीय डॉक्टर ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के 79 वें जन्मदिन को विश्व विद्यार्थी दिवस (World Student Day) के रूप में मनाया गया | उन्होंने युवाओं को प्रेरित (Inspire) करने हेतु कई किताबें लिखीं जो बहुत ही प्रभावशाली हैं – विंग्स ऑफ़ फायर, ए मैनिफेस्टो फॉर चेंज, इंस्पायरिंग थॉट्स, इत्यादि | ये किताबें भी कलाम साहब की तरह प्रेरणादायक (Inspirational) हैं। 
संकलक 
श्री. मच्छिंद्र बापू भिसे 
ज्ञानदीप इंग्लिश मीडियम स्कूल पसरणी 
९७३०४९१९५२ / ९५४५८४००६३ 

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