आज २ अक्तूबर
'महात्मा गांधी जयंती' और 'लालबहादुर शास्त्री जयंती'
एक ने शांति का संदेश देते हुए सत्याग्रह के मार्ग पर करीब २८ साल तक गांधी पर्व चलाया और देश की आजादी के लिए और शांति बनाये रखने के लिए आखरी साँस तक लड़ते रहें तो दूसरा देश की आजादी के साथ और आजादी के बाद देश हित में 'जय जवान, जय किसान' का नारा देते हुए देश संरक्षण क्षेत्र और किसान की उन्नति के लिए निरंतर कार्यरत रहें। आज दोनों महानुभावों का जन्म दिवस।
इस दिवस पर उन्हें याद करते हुए उनके द्वारा दी सीख को याद रखते हुए भारत के सर्वोत्तम नागरिक बनाने का प्रण करते हैं।
उनके आदर्श, देश के कार्य और समर्पण को मेरा शत-शत नमन और अभिवादन !!!!!!!!!
बापू की याद दिलाने वाली हमारे स्नेही लेखक मित्र 'आनंद विश्वास जी' की एक कविता
गाँधी जी के बन्दर तीन
गाँधी जी के बन्दर तीन,
तीनों बन्दर बड़े प्रवीन।
खुश हो बोला पहला बन्दा,
ना मैं गूँगा, बहरा, अन्धा।
पर मैं अच्छा ही देखूँगा,
मन को गन्दा नहीं करूँगा।
तभी उछल कर दूजा बोला,
उसने राज़ स्वयं का खोला।
अच्छी-अच्छी बात सुनूँगा,
गन्दा मन ना होने दूँगा।
सुनो, सुनाऊँ मन की आज,
ये बापू के मन का राज़।
जो देखोगे और सुनोगे,
वैसे ही तुम सभी बनोगे।
हमको अच्छा ही बनना है,
मन को अच्छा ही रखना है।
अच्छा दर्शन, अच्छा जीवन,
सुन्दरता से भर लो तन-मन।
सोच समझ कर तीजा बोला,
मन में जो था, वो ही बोला।
आँख कान से मनुज गृहणकर,
ज्ञान संजोता मन के अन्दर।
मुख से, जो भी मन में होता,
वो ही तो, वह बोला करता।
अच्छा बोलो जब भी बोलो,
शब्द-शब्द को पहले तोलो।
मधुर बचन सबको भाते हैं,
सबके प्यारे हो जाते हैं।
आनंद विश्वास
बचपन एवं शिक्षाः शिकोहाबाद
अध्यापनः अहमदाबाद (गुजरात)
सम्प्रतिः स्वतंत्र लेखन (नई दिल्ली)
कविता-संग्रहः मिटने वाली रात नहीं (डायमंड बुक्स, दिल्ली से प्रकाशित, 2012)
उपन्यासः देवम बाल-उपन्यास (डायमंड बुक्स, दिल्ली से प्रकाशित, 2012)
उपन्यासः पर-कटी पाखी बाल-उपन्यास (डायमंड बुक्स, दिल्ली से प्रकाशित, 2014)
उपन्यासः बहादुर बेटी (बाल-उपन्यास) (उत्कर्ष प्रकाशन मेरठ 2015)
समाज की बौनी मान्यताओं, जहरीले अंधविश्वास और आज के वेदना एवं मुश्किलों के बोझ से पिघलते जीवन के प्रति विद्रोही स्वर।
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