२४ जून १९६९
आपका जन्मदिवस
आपको जनम दिवस की ढेरों
बधाईयाँ !!!
ईश्वर आपकी अभिलाषाओं को लंबी उम्र प्रदान करें। वह पूरी करने हेतु आरोग्य, क्रयशक्ति, परिवार का बल, स्वयं की आत्मशक्ति को निरंतर ईश्वरीय दीप की तरह प्रज्वलित करता रहें ।
आपकी
मंगल कामनाओं के साथ -
सहपरिवार आपका अनुज एवं सखा,
मच्छिंद्र भिसे
सातारा (महाराष्ट्र)
आदरणीय बड़े भाई,
आज के दिन आपके
पास होता तो बहुत अच्छा होता। समय की इच्छा के कारण दूर ही सही लेकिन आप मेरे
दिल के करीब हो। आपके इंजिन के साथ का वह आखरी डिब्बा हूँ जो मध्य के डिब्बे भले
ही बदले पर पूँछ का डिब्बा हूँ मैं, आखिर तक साथ देने का वादा करता हूँ। आपको भेंट
हेतु मेरी स्वरचित शब्दश्रृंखला आपके लिए मंगलकामना करते हुए भेज रहा हूँ
स्वीकार हो।
राजसी 'राजन'
कई मुकाम हासिल किए आपने,
झुककर सलाम करे आज ये गगन,
‘एक था गुणीराम’ लिए ‘नेक हंस’,
आज वही हैं हमारे राजकुमार जैन ‘राजन’।
‘लाख टके की बात’ कहूँ,
या ‘झनकू का गाना’ मैं गाउँ,
‘पशु-पक्षियों के गीत’ गाएँ हैं चमन,
ऐसे है ‘आदर्श मित्र’ प्यारे ‘राजन’।
‘बच्चों की सरकार’ है बनाई,
साहित्य दान की मिठाईयाँ खिलाई,
‘मन के जीते जीत है’देते सिखावन,
औरों की ख़ुशी में ख़ुशी पाते हैं ‘राजन’।
‘बस्ते का बोझ’ हुआ भारी ,
सुख का ‘रोबोट दिला दो राम’,
‘प्यारी छुट्टी जिंदाबाद’पाई,
अब बच्चों के आ गई जो काम।
‘राजन’ जी का जीवन है,
एक प्यारी ‘चिड़िया की सीख’,
‘ख़ुशी रा आँसू’ से भीगे हैं मन,
जिए साहित्य में जिए मनचाहा ‘राजन’।
‘इसी का नाम जिंदगी’ ये कहे,
बालसाहित्य संजीवनी बन जीवन को गहे,
‘खोजना होगा अमृत कलश’ इनके स्पंदन का,
दिल के दरियादिल और नटखट है ‘राजन’।
जन्मदिन मुबारक हो भाई ‘राजन’,
क्या दूँ ‘सबसे अच्छा उपहार’,
यहीं भेंट स्वीकार हो सहपरिवार,
‘जन्मदिन का उपहार’ यही हो स्वीकार।
‘साहित्य समीर दस्तक', ने दी
जब भी दस्तक मेरे दिल पर गहन,
एक ही आवाज आती रही है,