प्रतिष्ठा में,
संपादक महोदय / महोदया
सादर नमन !!!
मच्छिंद्र भिसे,
भुईंज-सातारा (महाराष्ट्र)
संपादक महोदय / महोदया
सादर नमन !!!
'साहित्य समीर दस्तक' पत्रिका का मई २०१८ का अंक नियमित समय पर प्राप्त हुआ। सहृदय
धन्यवाद। मई की पत्रिका के मुखपृष्ठ मरुभूमि एवं पानी लेकर जा रही देहाती नारियों के चित्र सजाकर मई की गर्मी का परिचय देते हुए अंतरंग में साहित्यिक ठंडाई प्रदान करने वाली एक से बढ़कर एक रचनाओं को सचित्र स्थान दिया है। संपादकीय में 'अपनी बात' और 'मन की बात' के आलेख व्यक्तित्व निर्माण एवं मुस्कराने के महत्त्व को सुंदर शब्दबद्ध किया है जो सोचनीय हैं। बुढ़ापा बोझिल नहीं होता यदि उसे सही दिशा दे, इस बात को दर्शाने वाली प्रतिमा खनका जी की 'रिटायर्ड' और श्यामली पांडे जी की 'किसी से कहना मत' खोखली इज्जत की पोल खोल देने वाली कहानी शिक्षाप्रद एवं सराहनीय है। मातृ दिवस की एवं मातृ प्रेम के एहसास एवं आज की माँ के हालत बयान करने वाली मॉरीशस के गुदारी जी की 'बैठक' कहानी पाठक की पठन की बैठक रँगाती है तो माँ को कई सवाल पूछने वाली विशाल के.सी. जी की 'जोकर' कविता बहुत कुछ कह जाती है।
धन्यवाद। मई की पत्रिका के मुखपृष्ठ मरुभूमि एवं पानी लेकर जा रही देहाती नारियों के चित्र सजाकर मई की गर्मी का परिचय देते हुए अंतरंग में साहित्यिक ठंडाई प्रदान करने वाली एक से बढ़कर एक रचनाओं को सचित्र स्थान दिया है। संपादकीय में 'अपनी बात' और 'मन की बात' के आलेख व्यक्तित्व निर्माण एवं मुस्कराने के महत्त्व को सुंदर शब्दबद्ध किया है जो सोचनीय हैं। बुढ़ापा बोझिल नहीं होता यदि उसे सही दिशा दे, इस बात को दर्शाने वाली प्रतिमा खनका जी की 'रिटायर्ड' और श्यामली पांडे जी की 'किसी से कहना मत' खोखली इज्जत की पोल खोल देने वाली कहानी शिक्षाप्रद एवं सराहनीय है। मातृ दिवस की एवं मातृ प्रेम के एहसास एवं आज की माँ के हालत बयान करने वाली मॉरीशस के गुदारी जी की 'बैठक' कहानी पाठक की पठन की बैठक रँगाती है तो माँ को कई सवाल पूछने वाली विशाल के.सी. जी की 'जोकर' कविता बहुत कुछ कह जाती है।
बालजगत की कहानियों में 'जीने का हक' पशु-पक्षी संवर्धन एवं संरक्षण का संदेश देनेवाली हैं तो वही डॉ. दर्शन सिंह 'आशट' जी 'फिर फैली मुस्कान' कहानी बच्चों को समझदारी इस जीवन मूल्य की सिखावन देती है। लघुकथाओं में कपिल शास्त्री जी की 'उदारता' नकली उदारता की पहचान करा देती हैं, इस श्रृंखला की सभी लघुकथाएँ पठनीय है। किशनलाल छिपा के 'नया ज्ञान' और 'अपना खेत' प्रेरणादायी प्रंसग हैं। काव्य कुंज की पठनीय कविताएँ सजावट के साथ प्रस्तुत करने से काव्य कुंज खिला है जिससे पत्रिका और स्तरीय बनती जा रही है। काव्य में प्रस्तुत रेनू शर्मा जी द्वारा 'शब्द' को 'जीने की वजह हो' कहकर शब्दों को काव्यात्मक सम्मान देकर गौरवान्वित किया है। देवी नागरानी जी की गजलें, नेपाल से और पूर्वोत्तर से शीर्षक में प्रस्तुत रचनाएँ मन को छू जाती हैं, विशेषकर सीताराम प्रकाश की 'बीज हूँ मैं' अधिक पसंद आईं। बालकविताएँ भी बाल मन सहित हर पाठक को प्रभावित करती हैं। 'यादों के झरोखों से' मेरा विशेष प्रिय स्तंभ है, इस बार मेरे प्रिय गजलकार 'दुष्यंतकुमार' जी को देखकर दिल खुश हुआ। किताबों की समीक्षाएँ एवं पत्रिकाओं का परिचय देकर यह पत्रिका साहित्य के प्रचार-प्रसार के मूल उद्देश्य को सफल करती दिखाई देती है वहीं साहित्यिक क्षेत्र की खबरें देकर संबंधित हलचल से परिचित कराती हैं।
संक्षेप में अंतराष्ट्रीय स्तर में स्तरीय पत्रिकाओं में अपना स्थान पानेवाली पत्रिका 'साहित्य समीर दस्तक' है। इस नियमित सफल प्रकाशन हेतु संपादक, प्रधान संपादक एवं उनके सहयोगियों को हार्दिक बधाईयाँ और मंगलकामनाएँ !!!
मच्छिंद्र भिसे,
भुईंज-सातारा (महाराष्ट्र)
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बहुत अच्छा sir
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