इस ब्लॉग पर सभी हिंदी विषय अध्ययनार्थी एवं हिंदी विषय अध्यापकों का हार्दिक स्वागत!!! मच्छिंद्र भिसे (हिंदी विषय शिक्षक, कवि, संपादक)

Saturday 8 July 2017

गुरुपौर्णिमा

मेरे सभी ज्ञानदाता, अभिभावक एवं पथप्रदर्शक गुरुजनों को गुरुपौर्णिमा की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ 

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यह मेरे गुरु एम्. व्यंकटेश्वर जी को सादर समर्पित 


       नमस्कार सभी अध्यापक भाईयों और बहनों, आज गुरु पौर्णिमा हैं। आप सभी को गुरु पौर्णिमा की हार्दीक शुभ कामनाएँ। आज मैं एक ऐसे व्यक्ति का परिचय करने जा रहा हूँ, जिनका अल्प परिचय जनवरी २०१७ के हैदराबाद प्रशिक्षण के दौरान हुआ।

वंदनीय एम्. व्यंकटेश्वर जी
सादर प्रणाम,
    आपका परिचय केंद्रीय हिंदी संस्थान के जनवरी २०१७ के प्रशिक्षण के दौरान हुआ। आपका स्वभाव शिस्तप्रिय, मिलनसार, स्पष्टवक्ता और ज्ञानदाता का हैं । मुझे याद है कि आपकी की एक तासिका में देरी से पहुँचा और आपने मुझे डाँटा था परंतु मध्यान के समय में पास बुलाकर मुझसे प्यार से बातें करके मुझे समझाया। उस डाँट की वजह से मैं आपका बन गया हूँ। मेरे जीवन में एक आदर्श व्यक्ति का सहवास मेरे लिए सौभाग्य की बात हैं। आपको मैंने हिंदी की पढ़ाई के बारे में पूछा तो बताया कि फुरसत के वक्त पढ़ते रहने से ज्ञान में वृद्धि होगी। मैंने इस बात को अपनाया है। 
       सर, मैं आपके मार्गदर्शन से किताबें लेने एक किताब की दूकान में गया था ।  जब मैंने दुकानदार को किताबों की सूची दी तब उसने पूछा कि यह किसने दी है।  मैंने आपका नाम बताया तो वह मुस्कुराते हुए बोला।  श्रीमान आपको जिसने सूची दी हैं ना, मेरी दुकान से भी ज्यादा किताबें तो आपके घर में हैं, और जब कोई भी नई किताब आती है तो आप वह किताब लेकर पढ़ते है। 
      यह बात सुनकर मैं दंग रह गया।  मुझे भी ऐसा लगा कि अध्यापक होने के नाते मेरे छात्रों को देने के लिए पर्याप्त ज्ञान होना आवश्यक हैं और मेरी कोशिश भी यही रहती है। मुझे तो आपसे जो प्रेरणा मिली है जिसने मुझे पढ़ने की प्यास बढ़ा दी है।  
     सर, हम रवि-भारती हाल में हुए विश्व हिंदी दिवस कार्यक्रम को नहीं भूल सकते क्योंकि  आपका पहला परिचय यहीं तो हुआ था और बाद में आप हिंदी संसथान मैं हमें मार्गदर्शन करने आए थे। 
     आपके द्वारा हिंदी साहित्य की विधाएँ तथा हिंदी कहानी का इतिहास इन विषयों का मार्गदर्शन बहुत लाभदायी रहा। 
     सर, आपके ज्ञान प्रसाद के लिए हमेशा लालायित रहूँगा।  आपके द्वारा किये मार्गदर्शन और प्यार के लिए आपके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ। 

    आज गुरुपौर्णिमा के दिन आपका शिष्य आपको वंदन करते हुए आपको याद करता हूँ। आप यही यादों की भेंट अपने शिष्य से स्वीकार करेंगे, इसी अभिलाषा के साथ -

श्री. मच्छिंद्र बापू भिसे 
ज्ञानदीप इंग्लिश मीडियम स्कूल, पसरणी 
तहसील - वाई, जिला - सतारा
महाराष्ट्र ४१२ ८०३ 
९७३०४९१९५२   
  

डॉ. एम वेंकटेश्वर जी का परिचय 



  परिचय
जन्म : 12/6/1946, हैदराबाद
व्यवसाय : सेवा निवृत्त, हिंदी प्रोफेसर (उस्मानिया विश्वविद्यालय/अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, हैदराबाद)
मातृभाषा : तेलुगु

हिंदी में प्रकाशित साहित्य :


1.   हिंदी उपन्यासों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन
2.   हिंदी उपन्यासों में मनोविकृत पात्र
3.   हिंदी के समकालीन महिला उपन्यासकार
4.   आठवें दशक के हिंदी उपन्यास
5.   प्रयोजनमूलक हिंदी विविध आयाम
6.   जीवन वृन्दावन (अनुवाद)
7.   संकल्य "बच्चन विशेषांक" (संपादन)
8.   समुच्चय – अंक 1 और 2 (सं)
9.   भास्वर भारत (मासिक) (संयुक्त संपादन)
10. "प्लेम" बुल्गारियान साहित्य पत्रिका (सं)


पुरस्कार एवं सम्मान:
सौहार्द्र सम्मान : उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान 2002
बेस्ट टीचर एवार्ड : आंध्र प्रदेश सरकार 2004
बिहार राष्ट्र भाषा पुरस्कार : पटना 2009

हिंदी प्रचार/सेवा :
  1. विगत 40 वर्षों से हिंदी भाषा और साहित्य का अध्ययन/अध्यापन/शोध कार्य में निमग्न
  2. हिंदी भाषा और साहित्य का प्रचार और प्रसार (स्वच्छंद संस्थाओं में, ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों और कालेजों में व्याख्यानों, कार्यशालाओं तथा संगोष्ठियों के माध्यम से भारतीय भाषाओं के परिप्रेक्ष्य में)
  3. 100 से अधिक शोध लेख प्रकाशित / आज भी लेखन कार्य जारी। (राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में)
  4. 40 शोध छात्रों का पीएच और एम फिल उपाधियों के लिए शोध निर्देशन।
  5. तीन वर्षों (1996–1999) तक यूरोप के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अध्यापन तथा हिंदी तथा भारतीय भाषाओं, संस्कृति का अध्यापन, प्रचार, प्रसार) (बुल्गारिया, पोलेंड, ग्रीस, आस्ट्रिया और जर्मनी के विश्वविद्यालयों में व्याख्यान और भारतीय संस्कृति का प्रचार–प्रसार)
  6. 4 अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों तथा अनेकों राष्ट्रीय संगोष्ठियों में प्रतिभागिता।
  7. हिंदी पत्रकारिता से सक्रिय भागीदारी। वर्तमान में "भास्वर भारत" मासिक पत्रिका केसंयुक्त संपादक के रूप में स्वैच्छिक सेवा में निरत।
  8. आंध्र प्रदेश के सुदूर (अहिंदी भाषी) ग्रामीण प्रान्तों में कार्यरत हिंदी अध्यापकों के लिए भाषा शिक्षण संबंधी शिविर, कार्यशालाओं तथा पुनश्चर्या कार्यक्रमों का स्वैच्छिक (सेवा भाव से) आयोजन और मार्गदर्शन के साथ साथ हिंदी भाषा का प्रचार –प्रसार के कार्य में निरंतर मग्न।
  9. देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अतिथि आचार्य के रूप में अस्थाई तौर पर अध्यापन और शोध निर्देशन। (हैदराबाद विवि, काकतीय विवि, वर्धा विवि, कर्नाटक विवि, दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा – मद्रास, हैदराबाद, कोचीन धारवाड़) अरुणाचल प्रदेश – राजीव गांधी विवि आदि)
संप्रति :
स्वतंत्र लेखन। हिन्दी, अंग्रेजी एवं तेलुगु साहित्य संबंधी आलोचनात्मक लेख, भारतीय एवं हॉलीवुड सिनेमा में विशेष रुचि। फिल्म समीक्षा लेखन। हिंदी अंग्रेजी और तेलुगु कथा साहित्य का आकलन।
विशेष अभिरुचियाँ :

फोटोग्राफी, यात्रा, अध्ययन(पठन), साहित्यिक-शोध अध्यापन, ड्राइविंग, पत्र- व्यवहार, सिनेमा, संगीत (पाश्चात्य एवं भारतीय), सांस्कृतिक संयोजन आदि।

आलेख
साहित्य और सिनेमा
अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच और सिनेमा के चहेते कलाकार सईद जाफ़री की स्मृति में
अपराजेय कथाशिल्पी शरतचंद्र और देवदास
(देवदास के प्रकाशन के सौ वर्ष के संदर्भ में)
अमेरिकी माफ़िया और अंडरवर्ल्ड पर आधारित उपन्यास: गॉड फ़ादर (The Godfather)
ऑस्कर वाईल्ड कृत महान औपन्यासिक कृति : पिक्चर ऑफ़ डोरिएन ग्रे
इंग्लैंड के महान उपन्यासकार चार्ल्स डिकेंस की अमर कृति "ग्रेट एक्सपेक्टेशन्स"
खेतिहर समुदायों के विस्थापन की त्रासदी : जॉन स्टाईनबैक की अमर कृति "ग्रेप्स ऑफ़ राथ"
'गॉन विथ द विद' - एक कालजयी उपन्यास और सिनेमा 
चीन के कृषक जीवन की त्रासदी "द गुड अर्थ"
दासप्रथा का प्रथम क्रांतिकारी विद्रोही - ‘स्पार्टाकस’
द्वितीय महायुद्ध में नस्लवादी हिंसा का दस्तावेज़ : शिन्ड्लर्स लिस्ट
फ्रांसीसी राज्य क्रान्ति और यूरोपीय नवजागरण की अंतरकथा : ए टेल ऑफ़ टू सिटीज़ 
टॉलस्टाय की 'अन्ना केरेनिना' : कालजयी उपन्यास और अमर फिल्म
फ़्योदोर दोस्तोयेव्स्की की अमर औपन्यासिक कृति "ब्रदर्स कारामाज़ोव"
"बेन-हर" (BEN-HUR) रोम का साम्राज्यवाद और सूली पर ईसा मसीह का करुण अंत
: साहित्य और सिनेमा 

बोरिस पास्टरनाक की अमर कृति 'डॉ. ज़िवागो' : साहित्य और सिनेमा
भारतीय सिनेमा और रवीन्द्रनाथ टैगोर
भारतीय सिनेमा को तेलुगु फिल्मों का प्रदेय
भारतीय सिनेमा में 'समांतर' और 'नई लहर (न्यू वेव)' सिनेमा का स्वरूप
भूमंडलीकरण और हिन्दी सिनेमा
युद्धबंदी सैनिकों के स्वाभिमान और राष्ट्रप्रेम की अनूठी कहानी : "द ब्रिज ऑन द रिवर क्वाई"
विश्व कथा साहित्य की अनमोल धरोहर "ले मिज़रेबल्स" - साहित्य और सिनेमा
विश्व की महान औपन्यासिक कृति ‘वार एंड पीस‘ (युद्ध और शांति)
शॉर्लट ब्रांटे की अमर कथाकृति : जेन एयर
स्त्री जीवन की त्रासदी "टेस - ऑफ द ड्यूबरविल" 
हिंदी फिल्में और सामाजिक सरोकार
हिंदी सिनेमा के विकास में फ़िल्म निर्माण संस्थाओं की भूमिका भाग - 1
हिंदी सिनेमा के विकास में फ़िल्म निर्माण संस्थाओं की भूमिका भाग - 2
हिंदी सिनेमा में स्त्री विमर्श का स्वरूप
समीक्षा

अनूदित-साहित्य  :
एक राजनैतिक कहानी 
तेलुगु मूल : "ओका राजकीय कथा"
लेखिका : वोल्गा
संस्मरण

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