इस ब्लॉग पर सभी हिंदी विषय अध्ययनार्थी एवं हिंदी विषय अध्यापकों का हार्दिक स्वागत!!! मच्छिंद्र भिसे (हिंदी विषय शिक्षक, कवि, संपादक)

Thursday 8 June 2017

कुछ व्यंग्य दोहे


1. ज्ञान का नहीं कोई मोल पदवी बड़ी होए
    जो कहे बॉस, मानो सर नवा सब कोए


2. मीठा बोलके करवाते है काम सब ज़रूरी
   कलयुग है ये भाई मुँह मे राम बगल मे छुरी


3.  माँ बाप गऐ नौकरी बच्चा घर मे होए
    नौकरानी ऐश करे घर मे सोये सोये


4.  वक्त मे किया नहीं कुछ रह गए सोये
    बोया पेड़ बाबुल का फिर आम कहाँ से होऐ


5.  मिलते है गर्मजोशी से ,बातेअधिकार से
    खुद ही नहीं बनती उनकी अपने परिवार से

रचनाकार: सुजाता शुक्ल

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