डॉ. मोहन तिवारी 'आनंद'
दोहे-
पंचतत्व से घट बना, आये दस के काम।
दूजे को सुख बाँटकर, पाये खुद आराम।।
प्रेम मोहब्बत से जिओ, बैर-बुराई-त्याग।
दिल देकर दिल जीतिये, कर सच्चा अनुराग।।
छुरा-तमंचा से नहीं, कोई पाया जीत।
प्रेम और सद्भाव से, जग को बाँधे प्रीति।।
संस्कार मत भूलना, ये भारत के लोग।
दुनियाँ पीछे चलेगी, आयेगा संयोग।।
चाहो हिंसा जीतना, करो अहिंसक काम।
दुनिया में हो जायेगा, बापू जैसा नाम।।
डॅा.मोहन तिवारी ‘आनंद’
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